सर्वोच्च न्यायालय के ऐतिहासिक निर्णय
फैसले ने विशाखा को कामकाजी महिलाओं के यौन उत्पीड़न को रोकने के लिए दिशा-निर्देश दिए।
इसने माना कि यौन उत्पीड़न महिलाओं की गरिमा और संविधान के अनुच्छेद 14, 15 (1), और (2) का उल्लंघन है।
बाद में संसद ने “कार्यस्थल पर महिलाओं का यौन उत्पीड़न (रोकथाम, निषेध और निवारण) अधिनियम 2013” तैयार किया।