पर्यावरणीय पुरस्कार & भारत के पर्यावरणविद्
पर्यावरणीय पुरस्कार
- इंदिरा प्रियदर्शिनी वृक्षमित्र पुरस्कार: पर्यावरण और वन मंत्रालय ने 1986 में शुरू कियां वनीकरण तथ परती भूमि के विकास के क्षेत्र में उत्कृष्ट योगदान करने वाले व्यक्तियों तथा संगठनों को ये पुरस्कार दिए जाते हैं। ये पुरस्कार वनीकरण के क्षेत्र में अभिनव प्रयासों और विशिष्ट कार्यों के आधार पर प्रदान किया जाता है। जिसमें परती भूमि के विकास और जनता की भागीदारी पर विशेष बल दिया जाता है।
- राजीव गांधी वन्यजीव संरक्षण पुरस्कारः वन्य जीव संरक्षण के लिए यह देश का सर्वश्रेष्ठ पुरस्कार है। वन्य जीव संरक्षण के लिए विशिष्ट योगदान देने वाले व्यक्ति अथवा संस्था को इस पुरस्कार के तहत एक लाख रूपए, पदक और प्रशस्ति पत्र दिया जाता है।
- डॉ. सलीम अली राष्ट्रीय वन्यजीव फेलोशिप पुरस्कार: देश के सुविख्यात वन्यजीव संरक्षणवादी, अर्थात् डॉ. सलीम अली का पुण्य स्मरण करने, इस देश की समृद्ध वन्यजीव धरोहर के संरक्षण पर लक्षित अनुसंधान प्रयोगात्मक परियोजनाओं पर कार्य करने हेतु वन्यजीव प्रबंधको एवं वैज्ञानिकों विशेषकर युवा पीढ़ी को प्रेरित एवं प्रोत्साहित करने के लिए भारत सरकार के पर्यावरण और वन मंत्रालय ने हर दूसरे वर्ष में फेलोशिप देने का निर्णय लिया है।
- श्री कैलाश सांखला राष्ट्रीय वन्यजीव फेलोशिप पुरस्कारः देश के महान वन्य जीव संरक्षणवादी, श्रीकैलाश सांखला की स्मृति में देश की समृद्ध वन्यजीव विरासत के संरक्षण के उद्देश्य के अनुसंधान / प्रयोगिक परियोजनाओं को हाथ में लेने के लिए वन्यजीव प्रबंधको और वैज्ञानिकों की युवा पीढ़ी को प्रेरित करने और बढ़ावा देने हेतु पर्यावरण एवं वन मंत्रालय द्वारा हर दूसरे वर्ष फेलोशिप पुरस्कार दिया जाता है।
- जैव-विविधता हेतु पीतांबर पंत राष्ट्रीय पर्यावरण फेलोशिप एवं बी. पी. पाल राष्ट्रीय पर्यावरण फेलोशिप: राष्ट्रीय फेलोशिप प्रति वर्ष पर्यावरण विज्ञान एवं जैव विविधता के क्षेत्र में महत्वपूर्ण अनुसंधान तथा विकास योगदानों की मान्यता स्वरूप, भारतीय राष्ट्रीयता वाले किसी एक वैज्ञानिक / विशेषज्ञ को प्रदान की जाती है। फेलोशिप की अवधि दो वर्ष की होती है।
- अमृता देवी विश्नोई वन्यजीव सुरक्षा पुरस्कारः यह पुरस्कार वन्यजीव सुरक्षा के क्षेत्र में महत्वपूर्ण योगदान दिया जाता है, जिसे वन्यजीव सुरक्षा के लिए अनुकरणीय साहस दिखाने या अनुकरणीय कार्य करने के रूप में मान्यता प्राप्त है। वन्यजीव सुरक्षा में शामिल व्यक्तियों/संगठनों को पुरस्कार के रूप में एक लाख रुपये नकद की राशि प्रदान की जाती है।
- जीडी बिड़ला अन्तर्राष्ट्रीय पुरस्कार: बिड़ला फाउन्डेशन द्वारा भारतीय संस्कृति व ग्रामीण क्षेत्रों में पर्यावरण संरक्षण एवं चिकित्सकीय देखभाल के लिए प्रदान किया जाता है।
- महावृक्ष पुरस्कारः इस पुरस्कार को 1993-94 में राष्ट्रीय वनारोपण एवं पारिस्थितिकी विकास बोर्ड ने शुरू किया था यह पुरस्कार प्रति वर्ष क्षेत्र में अधिसुचित प्रजाति वृक्षों का रोपण करने वाले ऐसे व्यक्तियों का संगठनों को दिया जाता है, जिनके वृक्ष का घेरा तथा लम्बाई सबसे अधिक हो तथा वे अच्छे स्वस्थ्य हैं। पुरस्कार के रूप में 25 हजार रुपये, ऐ प्रशस्ति पत्र और प्रतीक चिह्न दिया जाता है।
- मेदिनी पुरस्कार योजना: यह पुरस्कार पर्यावरण तथा उससे संबंधित विषयों जैसे वन्यजीव जल संसाधन एवं संरक्षण पर हिंदी में मूल कार्यों को प्रात्साहित करने के लिए भारतीय लेखकों को प्रति वर्ष दिया जाता है। इस श्रेणी में चार पुरस्कार प्रदान किए जाते हैं।
- विशिष्ट वैज्ञानिक पुरस्कार: पर्यावरण एवं वन मंत्रालय और उसके सहयोगी कार्यालयों तथा स्वायत्त संस्थाओं के वर्ग ‘ए’ वैज्ञानिकों में मौलिक तथा व्यववहारिक अनुसंधान को प्रोत्साहन देने के लिए वर्ष 1992-93 में पर्यावरण एवं वन मंत्रालय ने विशिष्ट वैज्ञानिक पुरस्कार की स्थापना की। इस योजना के अंतर्गत प्रतिवर्ष 20 हजार रुपये के रदो पुरस्कार दिए जाते हैं।
- इंदिरा गाँधी पर्यावरण पुरस्कार: यह पुरस्कार पर्यावरण सरंक्षण के क्षेत्र में उल्लेखनीय योगदान करने वाले संगठन या व्यक्ति को प्रति वर्ष दिया जाता है। इसके अंतर्गत 5 लाख रुपये नकद, एक रजत ट्रॉफी और प्रशस्ति पत्र दिया जाता है। यह पुरस्कार 1987 में शुरू किया गया। उपराष्ट्रपति की अध्यक्षता वाली समिति पुरस्कार के विजेताओं को चुनती है।
- मरूभूमि पारिस्थितिकी फेलोशिपः सितंबर 1992 में, पर्यावरण और वन मंत्रालय ने प्राकृतिक संरक्षण के प्रति विश्नोई समुदाय के योगदान को मान्यता देने और इस क्षेत्र में अध्ययनों का प्रोत्साहित करने के लिए जोधपुर विश्वविद्यालय में मरुस्थल पारिस्थितिकी फेलोशिप की स्थापना के लिए एक समय बंदोबस्ती के रूप में छह लाख रूपये प्रदान किए थे। फेलोशिपत्र में 3,500 रुपये प्रतिमाह की वृत्ति और 1,000 रुपये प्रतिमाह मासिक का आकस्मिक अनुदान दिया जाता है।
- वर्गिकी विज्ञान ( टैक्सोनॉमी) पर ई.के. जानकी अम्मल राष्ट्रीय पुरस्कारः वर्गिकी विज्ञान में उत्कृष्टता के कार्य को प्रोत्साहित करने के लिए तथा विज्ञान के इस क्षेत्र में युवा छात्रों एवं विद्वानों को काम करने के लिए प्रोत्साहित किरने के लिए भी प्रो. ई.के. जानकी अम्मल के नाम पर यह पुरस्कार वर्ष 1999 में शुरू किया गया। स्व. प्रो. जानकी अम्मल ने विशेष रूप से साइटोक्सोनॉमी के क्षेत्र में उत्कृष्ट कार्य किया तथा उनका कार्य अनेक युवा वैज्ञानिकों के लिए प्रेरणा का स्रोत रहा है।
- राइट लिवली हुडः यह पुरस्कार राइट लिवली हुड सोसाइटी (लंदन) द्वारा पर्यावरण एवं सामाजिक न्याय के क्षेत्र में सराहनीय योगदान के लिए प्रदान किया जाता है। 2.8 लाख डॉलर का यह पुरस्कार 1980 से प्रदान किया जाता है। इसे वैकल्पिक नोबेल पुरस्कार के नाम से भी जाना जाता है।
- सासाकावा पुरस्कार: संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम (UNEP) द्वारा प्रदत्त यह पुरस्कार पर्यावरण प्रबंधन एवं संरक्षण के क्षेत्र में अन्तर्राष्ट्रीय योगदान करने वाले व्यक्ति तथा संस्था को प्रदान किया जाता है।
- गोल्डेन पांडा पुरस्कार: ‘ग्रीन आस्कर’ के नाम से विख्यात इस पुरस्कार को वन्य जीवन पर अन्तर्राष्ट्रीय फिल्म समारोह द्वारा प्रदान किया जाता है। ‘Vanishing Giants’ नामक डाक्युमेंट्री फिल्म, जो वन्य जीवों पर आधारित है, के लिए माईक पान्डे को यह पुरस्कार प्रदान किया गया है।
- अंतर्राष्ट्रीय मौसम विज्ञान संगठन पुरस्कार: संयुक्त राष्ट्र संघ की एजेंसी विश्व मौसम विज्ञान संगठन (WMO) द्वारा दिया जाने वाला मौसम विज्ञान से संबंधित यह सर्वोच्च सम्मान है।
- गोल्डमैन पुरस्कारः यह पुरस्कार 1989 से प्रति वर्ष गोल्डमैन फाउंडेशन (U.S.A) द्वारा पर्यावरण संरक्षण में उल्लेखनीय योगदान के लिए प्रदान किया जाता है। पुरस्कार स्वरूप 1.5 लाख डॉलर दिया जाता है।
- ग्लोबल 500 पुरस्कार: संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम द्वारा पर्यावरण रक्षा एवं सुधार में विलक्षण योगदान हेतु प्रदान किया जाता है।
भारत के पर्यावरणविद्
वंदना शिवा-ये आल्टर ग्लोबलाइजेशन मूवमेंट तथ ग्लोबल इकोफेमिनिस्ट आंदोलन की प्रणेता हैं। पर्यावरण से संबंधित अनेक पुस्तकों की लेखिका भी हैं।
सुंदरलाल बहुगुणा-जंगलों को बचाने के लिए उत्तराखंड में क्षेत्रीय जनता के सहयोग से “चिपको अन्दोलन” प्रारंभ किया।भूकंप प्रभावित क्षेत्र टिहरी में बाँध बांधने का भी विरोध किया।
गौरा देवी : किसी भी प्रकार की औपचारिक शिक्षा न प्राप्त कर सकने के बावजूद भी लोगों के समक्ष पर्यावरण प्रेम का आदर्श प्रस्तुत किया। चिपको आंदोलन से जुड़कर महिलाओं को पर्यावरण के बचाव में आगे आने को प्रेरित किया।
मेधा पाटकर: नर्मदा बचाओ आंदोलन के लिए मुख्य रूप से जानी जाती हैं। इन्हें पर्यावरण संरक्षण के प्रतिष्ठित पुरस्कार गोल्ड इनवायरमेंट प्राइज से सम्मानित किया गया है।
सुनिता नारायण : इन्होंने औद्योगिक विकास के पर्यावरण पर पड़ने वाले प्रभावों पर शोध कार्य किया है।पर्यावरण पर केंद्रित अंग्रेजी पत्रिका “डाउन टू अर्थ” की प्रकाशक एवं “सेंटर फॉर साइंस एवं इनवायरमेंट” नामक संस्था से संबंधित हैं। इन्हें पद्मश्री तथा स्टॉकहोम वाटर प्राइज़ से सम्मानित किया जा चुका है।
डॉ. सलीम अली : डॉ० सलिम अली बर्डमैन ऑफ इंडिया (Birdman of India) के नाम से जाने जाते हैं। इन्होंने ने पक्षी विज्ञान एवं जैव विविधता के क्षेत्र में उल्लेखनीय योगदान दिया है। बुक ऑफ इंडियन बर्ड्स उनकी चर्चित कृति है।
एम. सी. मेहता : पर्यावरण के कानूनी पैरोकार हैं और पर्यावरण संरक्षण के लिए जनहित याचिकाएँ दायर कर इस क्षेत्र में कानूनी चेतना बढ़ाने तथा कानूनी लड़ाई लड़ने का काम कर रहे हैं।अपनी याचिकाओं के माध्यम से विद्यालयों और महाविद्यालयों में पर्यावरण शिक्षा की शुरूआत के लिए सरकार को प्रेरित किया एवं गंगा की सफाई एवं ताजमहल संरक्षण के विशेष प्रयास किये।
माधव गाडगिल : इन्होंने जैव विविधता के रजिस्टरों को विकसित करने तथा पवित्र वाटिकाओं के संरक्षण में महत्वपूर्ण योगदान दिया है।
एम. एस. स्वामीनाथन : ये एक जाने माने कृषि वैज्ञानिक हैं। जैव विविधता के संरक्षण के लिए कार्यरत “स्वामीनाथन अनुसंध न प्रतिष्ठा” चेन्नई संस्थापक हैं। ये भारतीय हरित क्रांति के पिता (Father of India green Revolution) है।
राजेन्द्र सिंह : इनका गंगा के प्रदुषण मुक्त करने में विशेष योगदान है।
ये रमन मैग्सेसे पुरस्कार से सम्मानित हैं। तथा वाटर मैन के नाम से प्रसिद्ध हैं।
चण्डी प्रसाद भट्ट : इनका चिपको आंदोलन में महत्वपूर्ण योगदान है। 1982 में इन्हें रमन मैग्ससे अवार्ड से सम्मानित किया गया। वर्ष 2005 में गांधी शांति पुरस्कार से भी सम्मानित हुए।
चंपा देवी शुक्ला : चंपा देवी शुक्ला का भोपाल गैस पीड़ितों की लड़ाई में महत्वपूर्ण योगदान है। पर्यावरण संरक्षण के लिए भी इन्हों ने महत्वपूर्ण कार्य किया है।
सुगाथा कुमारी : इनका साइलेंट वैली आंदोलन में महत्वपूर्ण योगदान है। मलयालम भाषा की प्रसिद्ध कवयित्री तथा वर्ष 2012 में सरस्वती सम्मान प्राप्त हुआ। वर्ष 2006 में पद्मश्री से सम्मानित हुईं।
आर. के. पाचौरी : प्रसिद्ध पर्यावरणविद् हैं। ये IPCC के अध्यक्ष व TERI के महानिदेश रह चुके हैं।