देश की पहली महिलाएँ

आरती साहा (Aarti Saha)

  • आरती साहा एक लम्बी दूरी की तैराक थी। जिनका जन्म 24 सितम्बर, 1940 को कलकत्ता में हुआ था ।
  • आरती भारत तथा एशिया की पहली महिला इंग्लिश चैनल पार करने वाली प्रसिद्ध तैराक थी।
  • आरती ने चार साल की आयु से ही तैराकी शुरू की थी। उनका पूरा नाम आरती साहा गुप्ता है।
  • वर्ष 1949 में आरती ने अखिल भारतीय रिकॉर्ड सहित राज्य स्तरीय तैराकी प्रतियोगिता को जीता। उन्होंने 1952 में हेलसिंकी ओलपिंक में भी भाग लिया।
  • 29 सितम्बर, 1959 को उन्होंने इंग्लिश चैनल पार कर एशिया से ऐसा करने वाली प्रथम महिला तैराक बन गई। उन्होंने 42 मील की यह दूरी 16 घंटे 20 मिनट में तय की।
  • आरती को वर्ष 1960 में पद्मश्री से सम्मानित किया गया।
  • वर्ष 1998 में भारतीय डाक विभाग द्वारा विभिन्न क्षेत्रों में महत्वपूर्ण उपलब्धियाँ हासिल करने वाली भारतीय महिलाओं की स्मृति में जारी डाक टिकटों के समूह में आरती साहा पर भी एक टिकट जारी किया था।
  • पीलिया रोग के कारण 23 अगस्त, 1994 को उनकी मृत्यु हो गई।

आनन्दीबाई जोशी (Anandi Bai Joshi)

  • आनन्दी बाई जोशी पहली भारतीय महिला थीं। जिन्होंने डॉक्टर की डिग्री हासिल की थी।
  • इनका जन्म 31 मार्च 1865 को पुणे शहर में हुआ था। आनन्दीबाई का विवाह 9 वर्ष की आयु में उनसे करीब 20 वर्ष बड़े गोपालराव से हुआ । इनका बचपन का नाम यमुना था।
  • 14 वर्ष की आयु में वे माँ बनी और उनकी एकमात्र संतान की मृत्यु 10 दिनों में हो गई। अपनी संतान को खो देने के पश्चात् उन्होंने यह प्रण किया कि वह डॉक्टर बनेंगी और ऐसी असमय मौत को रोकने का प्रयास करेंगी।
  • गोपालराव ने आनन्दीबाई को डॉक्टरी का अध्ययन करने के लिए प्रोत्साहित किया। 1880 में उन्होंने एक प्रसिद्ध अमेरिकी मिशनरी रायल वाइल्डर को एक पत्र भेजा। जिसमें उन्होंने संयुक्त राज्य में औषधि अध्ययन में आनन्दीबाई की रूचि के संबंध से उन्हें अवगत कराया।
  • आनन्दीबाई ने सेरमपुर कॉलेज (पश्चिम बंगाल) हॉल में महिला समुदाय को संबोधित किया। जिसमें अमेरिका जाने और मेडिकल डिग्री प्राप्त करने के फैसले को समझाया।
  • उन्होंने भारत में महिला डॉक्टरों की जरूरत पर बल दिया।
  • भारत में महिलाओं के लिए एक मेडिकल कॉलेज खोलने के अपने लक्ष्य के बारे में बात की।
  • आनन्दीबाई ने 19 वर्ष की उम्र में अपना चिकित्सा प्रशिक्षण शुरू किया। तपेदिक के कारण उनका स्वास्थ्य खराब होने के बावजूद 11 मार्च 1885 को एमड़ी से स्नातक किया । लोकमान्य तिलक ने उनकी आर्थिक मदद की थी।
  • डिग्री प्राप्त करने के पश्चात वह भारत लौट आई। महारानी विक्टोरिया ने उन्हें बधाई पत्र लिखा और भारत में उनका स्वागत एक नायिका की तरह किया गया।
  • भारत वापस आने के कुछ समय बाद ही वह टीबी का शिकार हो गई। जिससे 26 फरवरी 1887 को मात्र इक्कीस साल की उम्र में उनका निधन हो गया।
  • आनन्दीबाई के जीवन पर कैरोलिन ने वर्ष 1888 में बायोग्राफी भी लिखी। इस बायोग्राफी पर दूरदर्शन चैनल पर ‘आनन्दी गोपाल’ नामक हिन्दी टीवी सीरियल का प्रसारण किया गया। जिसका निर्देशन कमलाकर सारंग ने किया था।

अरूणिमा सिन्हा (Arunima Sinha)

  • अरूणिमा सिन्हा पूर्व वॉलीबाल खिलाड़ी तथा माउंट एवरेस्ट फतह करने वाली पहली भारतीय विकलांग महिला हैं। जिनका जन्म 1988 को उत्तर प्रदेश के अम्बेडकर नगर जिलों में हुआ था।
  • अरूणिमा उत्तर प्रदेश के अंबेडकर नगर की निवासी और केन्द्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल (सी. आई. एस. एफ में हेड कांस्टेबल के पद पर 2012 से कार्यरत है।
  • 12 अप्रैल, 2011 को लखनऊ से दिल्ली जाते समय बैग और चेन खीचने के प्रयास में कुछ अपराधियों ने बरेली के निकट ट्रेन से उन्हें बाहर फेंक दिया था, जिसके कारण वह अपना एक पैर गंवा बैठी थी।
  • अरूणिमा ने एक पैर गंवा चुकने के बावजूद गजब के जीवन का परिचय देते हुए 21 मार्च, 2013 को दुनिया की सबसे ऊँची चोटी माउंट एवरेस्ट को फतह कर एक नया इतिहास रचते हुए ऐसा करने वाली पहली विकलांग भारतीय महिला होने का रिकॉर्ड अपने नाम कर लिया।
  • ट्रेन दुर्घटना से पूर्व उन्होंने कई राष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में राज्य की बॉलीबॉल और फुटबॉल टीमों में प्रतिनिधित्व किया है।
  • ‘उत्तर प्रदेश में सुल्तानपुर जिले के भारत-भारती संस्था ने अरूणिमा को सुल्तानपुर रत्न अवार्ड से सम्मानित करने की घोषणा की।
  • वर्ष 2016 में अरूणिमा सिन्हा को अम्बेडकर नगर रत्न पुरस्कार से अम्बेडकर नगर महोत्सव समिति की ओर से सम्मानित किया गया।

किरण बेदी (Kiran Bedi)

  • डॉ. किरण बेदी भारतीय पुलिस सेवा की सेवानिवृत्त अधिकारी सामाजिक कार्यकर्त्ता, भूतपूर्व टेनिस खिलाड़ी एवं राजनेता हैं।
  • डॉ. बेदी का जन्म 9 जून, 1949 को अमृतसर पंजाब में हुआ। 1972 में भारतीय पुलिस सेवा में सम्मिलित होने वाली वे प्रथम महिला है। वर्तमान में वे पाण्डिचेरी की उपराज्यपाल हैं।
  • उन्होंने विभिन्न पदों पर कार्य किया है। उन्होंने संयुक्त आयुक्त पुलिस प्रशिक्षण तथा दिल्ली पुलिस स्पेशल आयुक्त (खुफिया) के पद पर भी कार्य किया है।
  • 1970-72 में किरण बेदी ने अपने कैरियर की शुरूआत खालसा महिला कॉलेज, अमृतसर में राजनीति विज्ञान के हैं। व्याख्याता के तौर पर की थी। बाद में पुलिस सेवा में रहते ) हुए पुलिस कार्य प्रणाली एवं जेल सुधारों के लिए अनेक आधुनिक आयाम जुटाने में महत्वपूर्ण योगदान दिया।
  • निस्वार्थ कर्त्तव्य परायणता के लिए उन्हें शौर्य पुरस्कार के अलावा रेमन मैग्सेसे पुरस्कार से नवाजा गया। इसके अतिरिक्त उन्हें जर्मन फांउडेशन का जोसफ ब्यूज पुरस्कार नार्वे के संगठन इंटरनेशनल ऑर्गेनाइजेशन ऑफ गुडे टेम्पलर्स का ड्रग प्रिवेंशन एवं कंट्रोल के लिए दिया जाने वाला एशिया रीजन अवार्ड 2001, अमेरिकी मॉरीसन टॉम निटकॉक पुरस्कार तथा इटली का वूमन ऑफ द इयर 2002 पुरस्कारों से सम्मानित किया गया है।
  • वर्ष 1987 में बेदी ने 17 अन्य पुलिस अधिकारियों के साथ नवज्योति इंडिया फाउंडेशन (एन आई एफ) की स्थापना की। जो नशामुक्ति तथा पुनर्वास संगठन के तौर पर कार्यरत है।
  • इसके अलावा यह फाउंडेशन बच्चों और महिलाओं के लिए कार्य करता है। इस संस्थान को नशीली दवाओं की। की रोकथाम के लिए संयुक्त राष्ट्र द्वारा सर्जसाटिरोफ सर्वे पायलट के रूप में 1959 में पहली उड़ान प्रारम्भ मेमोरियल पुस्कार प्रदान किया गया है।
  • वर्ष 2011 में किरन बेदी अन्ना हजारे के आंदोलन से जुड़ी तथा वे इंडिया अगेंस्ट करप्शन (IAC) के प्रमुख सदस्यों में से एक रही है।
  • वर्ष 1994 में बंदी के प्रयासों से इंडिया विजन फाउंडेशन की स्थापना की गई। यह संस्था भी गरीब वंचित बच्चों की प्राथमिक शिक्षा एवं महिलाओं के लिए प्रौढ़ शिक्षा उपलब्ध कराती है। डॉ. बेदी और उनकी संस्थाओं को अंतर्राष्ट्रीय ख्याति मिल चुकी है।
  • किरन एशियाई टेनिस चैंपियन रही हैं। कानून की डिग्री के साथ- साथ ‘ड्रग एब्यूज एण्ड डोमोस्टिक वायलेंस विषय पर डॉक्टरेट’ की उपाधि प्राप्त की है।
  • उन्होंने ‘इट्स ऑलवेज पॉसिबल’ तथा ‘आय डेयर’ एवं ‘काइंडली बेटने’ नामक आत्मकथा भी लिखी है। इसके अलावा यथार्थ जीवन पर आधारित वृत्तांतों का संकलन ‘व्हाट वेंट रोंग’ नाम से किया है। इसका हिन्दी रूपान्तर ‘गलती किसकी’ नाम से किया गया है।

के. दुर्गा बैनर्जी (K. Durba Banerjee)

  • के. दुर्गा बैनर्जी इण्डियन एयरलाइंस की पहली महिला (1956 में) पायलट और भारत की पहली व्यापारिक (कमशियल) पायलेट रही है।
  • दुर्गा बैनर्जी का बचपन से ही जहाजों के प्रति रूझान था और भविष्य में वे स्वयं जहाज चलाना चाहती थीं। वह अपने समय की पहली महिला थी, जिसने परम्परा के विरूद्ध इस क्षेत्र में प्रवेश किया।
  • बैनर्जी ने पहली बार केन्द्रीय उडड्यन मंत्री हुमायूं कबीर से व्यापारिक पायलेट की अनुमति मांगी, तो वह झिझक गए पर उन्होंने सोचा कि उसे उड़ान सहायक का पद देना चाहिए।
  • बैनर्जी ने अपनी पहली उड़ान कलिंगा एयरलाइंस के एयर सर्वे पायलट के रूप में 1959 में प्रारम्भ की
  • इसके बाद वह कोलकत्ता में इंडियन एयरलाइंस के एयर
  • इसके बाद उन्होंने कोलकाता में इंडियन एयरलाइंस में शामिल हो गई और 1988 में सेवानिवृत्त हुई
  • इन्हें सर्वाधिक 185000 घंटे उड़ान का श्रेय प्राप्त है।
  • बैनर्जी एफ 27 टर्बो प्रॉप एयरक्रॉफ्ट में कमाण्डर के पद पर नियुक्त हुई थी।
  • बी 737200 श्रृंखला के आगमन के पश्चात उन्होंने स्वयं जेट पायलेट के रूप में मान्यता प्राप्त की थी, जिससे वह बोइगा 737 चलाने लगी।
  • दुर्गा बैनर्जी एयरबस 300 भी चला चुकी हैं।

एम. फातिमा बीवी (M. Fathima Beevi)

  • एम. फातिमा बीवी सर्वोच्च न्यायालय की पूर्व न्यायाधीश है। वे इस पद पर (वर्ष 1989 में) नियुक्त होने वाली पहली भारतीय महिला हैं। इनका पूरा नाम मीरा साहिब फातिमा बीवी है।
  • फातिमा बीवी का जन्म 30 अप्रैल, 1927 को केरल के त्रावणकोर में पथानामथिट्टा में हुआ था। उनके पिता का नाम मीरा साहब और माँ का नाम खदीजा बीवी है।
  • फातिमा की स्कूली शिक्षा कैथीलोकेट हाई स्कूल, पथानामथिट्टा से हुई। उन्होंने यूनिवर्सिटी कॉलेज, त्रिवेद्रम से स्नातक और लॉ कॉलेज त्रिवेन्द्रम से एल एल बी किया।
  • 14 नवम्बर, 1950 को वे अधिवक्ता के रूप में पूंजीकृत हुई। मई 1950 में केरल अधीनस्थ न्यायिक सेवा में मुंसिफ के रूप में नियुक्त हुई ।
  • वर्ष 1968 में वे अधीनस्थ न्यायाधीश के रूप में पदोन्नत हुई। 1972 में मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट, 1974 में जिला एवं सत्र न्यायाधीश, 1980 में आयकर अपीलीय ट्रिब्यूनल की न्यायिक सदस्य और 8 अप्रैल 1983 को उन्हें उच्च न्यायालय में एक न्यायाधीश के रूप में नियुक्त किया गया।
  • 6 अक्टूबर, 1989 को वे सर्वोच्च न्यायालय की न्यायाधीश नियुक्त हुई। यहीं से 24 अप्रैल 1992 को वे सेवानिवृत हुई।
  • फातिमा बीवी को 3 अक्टूबर 1993 को राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग की सदस्य बनाया गया। इसके अलावा वे तमिलनाडु की पूर्व राज्यपाल भी रह चुकी हैं।

प्रिया झिंगन (Priya Jhingan)

  • वर्ष 1992 से पहले भारतीय सेना में महिलाओं को प्रवेश नहीं मिलता था। प्रिया झिंगन ने तत्कालीन सेना प्रमुख जनरल सुनिथ फ्रांसिस को पत्र लिखकर सेना में लड़कियों के लिए रास्ते खोलने का मुद्दा उठाया था।
  • इसके बाद 1992 में ही समाचार पत्र में महिलाओं के लिए सेना में भर्ती होने का विज्ञापन जारी हुआ।
  • सेना में अधिकारी बनने वाली प्रिया पहली महिला थी
  • इसलिए उनका एनरोलमेंट कैडेट नंबर- 001 के तौर पर हुआ। उनके बैच में कुल 25 महिलाएँ थी। इस पहले बैच ने देश की महिलाओं के लिए सेना में जाने का जुनून पैदा लंदन गई। किया था।
  • प्रिया ने पुरूषों के वर्चस्व वाले संस्थान में उत्कृष्टता का परिचय दिया। उन्हें बुनियादी सुविधाओं के लिए ऑफिसर्स एकेडमी में गुहार लगानी पड़ती थी ।
  • महिला होने के बावजूद उन पर कोई नरमी नहीं बरती जाती थी और पुरूष कैडेटों की तरह ही उन्हें ट्रेनिंग करनी पड़ती थी। एक साल तक कड़ी ट्रेनिंग लेने के बाद 6 मार्च, 1993 को उन्हें सर्विस के लिए कमीशन दिया गया।
  • प्रिया लॉ ग्रेजुएट थी, लेकिन उनका मन आर्मी की इनफैन्ट्री डिविजन में जाने का था। परन्तु उनकी नियुक्ति जज एडवोकेट जनरल के तौर पर हुई।
  • उस वक्त महिलाओं के लिए आर्मी की कॉम्बैट पोजिशन्स खाली नहीं हुई थी। इसी साल जून 1993 में सेना प्रमुख विपिन रावत ने घोषणा की थी कि जल्द ही कॉम्बैट ग्रुप में भी महिलाओं के प्रवेश के नियम बनाए जा रहे हैं। उन्होंने कहा था कि जल्द ही इसके लिए महिलाओं की नियुक्ति की जाएगी।
  • नियुक्ति प्रक्रिया शुरू हो गई है। लेकिन इन सबकी शुरूआत आज से 25 साल पहले प्रिया और प्रिया जैसी 25 अन्य महिलाओं ने की थी।
  • अभी महिलाओं को सेना में मेडिकल, लीगल एजुकेशनल और इंजीनियरिंग विंग में ही प्रवेश मिलता है।

रीता फारिया (Reita Faria)

  • रीता फारिया का पूरा नाम रीता फारिया पॉवेल है जो मिस वर्ल्ड का खिताब जीतने वाली पहली भारतीय और एशियाई मूल की महिला है। वे पहली भारतीय मिस वर्ल्ड है, (1966) जिन्होंने चिकित्सा शास्त्र में विशेषता हासिल की है।
  • रीता का जन्म 1943 में मुम्बई, महाराष्ट्र में हुआ। उन्होंने मुबई स्थित ग्रांट मेडिकल कॉलेज और सर जमशेदजी जीजाबाई ग्रुप ऑफ हॉस्पिटल से एम.बी.बी.एस. किया। ये उच्च शिक्षा के लिए किंग्स कॉलेज एवं अस्पताल,
  • वर्ष 1971 में इनका विवाह डेविड पॉवेल से हुआ। इसके पश्चात् ये डवलिन में रहने लगी, जहाँ उन्होंने डॉक्टरी की प्रैक्टिस भी शुरू की।
  • वर्ष 1998 में उन्होंने दोबारा फैशन की दुनिया में फेमिना मिस इण्डिया की जज के तौर पर कदम रखा। इसके अलावा रीता फारिया मिस वर्ल्ड प्रतियोगिता में भी बतौर जज शामिल हो चुकी हैं।

राजकुमारी अमृतकौर (Rajkumari Amritkaur)

  • राजकुमारी अमृतकौर स्वतंत्रता संग्राम सेनानी तथा सामाजिक कार्यकर्त्ता थी। राजकुमारी प्रथम भारतीय महिला थी जो केंद्रीय मंत्री बनी थी। ये अखिल भारतीय आयुविज्ञान संस्थान की स्थापना वर्तमान में मिलिट्री पुलिस के लिए भी महिलाओं की सदस्या भी थीं। वे महात्मा गाँधी की अनुयायी थीं तथा सोलह वर्ष तक उनकी सचिव भी रहीं। वे बिल्कुल शाकाहारी थीं तथा सादगी से जीवन व्यतीत करने वाली महिला थीं। बाइबिल के अतिरिक्त वे गीता और रामायण का भी प्रतिदिन अध्ययन करती थीं।
  • राजकुमारी अमृतकौर का जन्म 2 फरवरी, 1889 को उत्तर के साथ यात्रा की और जेल की सजा भी काटी। प्रदेश राज्य के लखनऊ शहर में हुआ था। इनका संबंध पंजाब के कपूरथला राजघराने से था। विभाजन से पूर्व अंतरिम सरकार में केंद्रीय मंत्री थी।
  • अमृतकौर स्वतंत्र भारत की दस वर्षों तक स्वास्थ्य मन्त्री भी रही थी। इनकी उच्च शिक्षा इंग्लैंड में हुई। ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय से एम. ए. करने के पश्चात् ये भारत वापस आई।
  • वर्ष 1945 में भारतीय प्रतिनिधि मण्डल यूनेस्को की बैठक में भाग लेने के लिए लन्दन गयी, राजकुमारी उस मण्डल की उपनेत्री चुनी गई थी। इसके अलावा 1946 में जब यह प्रतिनिधि मण्डल यूनेस्को की सभा में सम्मिलित होने के लिए पेरिस गया, तब भी वे इसकी उपनेत्री थी।
  • वर्ष 1948 और 1949 में उन्होंने ‘ऑल इंडिया कांफैस ऑफ सोशल वर्क’ की अध्यक्षता की। 1950 ई० में वह वर्ल्ड हेल्थ असेंबली की अध्यक्ष चुनी गई।
  • अमृतकौर 1947 से 1964 तक वे लीग ऑफ रेडकॉस सोसाइटीज की सहायक अध्यक्ष भी रही। वह वर्ष 1948 से 1964 तक सेंट जॉन एम्बुलेंस ब्रिगेड की चीफ कमिश्नर तथा इंडियन कौसिल ऑफ चाइल्ड वेलफेयर की मुख्य अधिकारिणी रही। इसके अलावा वह ऑल इण्डिया इंस्टिट्यूट ऑफ मेडिकल साइंस की अध्यक्ष भी रही है।
  • राजकुमारी अमृतकौर को खेलों से बड़ा प्रेम था। नेशनल स्पोर्टस क्लब ऑफ इण्डिया की स्थापना इन्होने ही की थी और वे इस क्लब की अध्यक्ष आरम्भ से ही रही थी। टेनिस उनका प्रिय खेल था। वे अनेक बार टेनिस की उड़ाया था। चैम्पियन भी रही।
  • उन्होंने ट्यूबरक्लोसिस एसोसिएशन ऑफ इण्डिया तथा हिन्द कुष्ठ निवारण संघ की अध्यक्षता प्रारम्भ से ही की थी।
  • इसके अतिरिक्त वह गाँधी स्मारक निधि जलियावाला बाग नेशनल मेमोरियल ट्रस्ट की ट्रस्टी, कौसिल ऑफ साइंटिफिक तथा इंडस्ट्रियल रिसर्च की गवनिंग बाडी की सदस्य तथा दिल्ली म्यूजिक सोसाइटी की अध्यक्षता भी रही थी।
  • अमृतकौर एक विदुषी महिला थी। उन्हें दिल्ली विश्वविद्यालय स्मिथ कॉलेज, वेस्टर्न कॉलेज, मॅकमरे कॉलेज आदि से डॉक्ट्रेट की उपाधि से नवाजा गया था। • वर्ष 1930 में दांडी मार्च के समय राजकुमारी ने गाँधी जी
  • वर्ष 1927 में ‘अखिल भारतीय महिला सम्मेलन’ की स्थापना की। 1950 में ये विश्व स्वास्थ्य संगठन की अध्यक्ष के रूप में सम्मान पाने वाली पहली एशियाई महिला थी।
  • ‘ऐम्स’ की स्थापना के लिए उन्होंने ऑस्ट्रेलिया, न्यूजीलैण्ड, अमेरिका, जर्मनी, स्वीडन आदि देशों से आर्थिक मदद हासिल की थी। उन्होंने और उनके भाई ने शिमला अपनी पैतृक सम्पत्ति और मकान को इस संस्थान के कर्मचारियों और नसों के लिए ‘होलिडे होम’ के लिए दान कर दिया था।
  • 2 अक्टूबर, 1964 को दिल्ली में उनकी मृत्यु हो गई । उनकी इच्छानुसार उन्हें दफनाने की बजाय जलाया गया।

सरला ठकराल (Sarla Thakral)

  • इनका जन्म 1914 सरला भारत की प्रथम महिला विमान चालक थी। को दिल्ली में हुआ था।
  • वर्ष 1936 में इन्होंने एयर क्रॉफ्ट उड़ाने वाली पहली भारतीय महिला बनने का गौरव हासिल किया। उन्होंने जिप्सी मॉल नामक विमान को अकेले ही
  • ठकराल ने 1929 में दिल्ली स्थित फ्लाइंग क्लब के अन्तर्गत विमान चालन का प्रशिक्षण लिया था।
  • 16 वर्ष की आयु में उनका विवाह पीड़ी शर्मा से हुआ, जिनसे उन्हें पायलट बनने का प्रोत्साहन मिला।
  • सरला ठकराल ने कराची से लाहौर के बीच 1000 घंटे से अधिक की उड़ान भर लाइसेंस प्राप्त करने वाली पहली भारतीय महिला बनी।
  • सरला ‘मति’ के नाम से भी जानी जाती है, इनकी मृत्यु 15 मार्च, 2009 में हो गई।

संतोष यादव (Santosh Yadav)

  • संतोष यादव भारत की एक पर्वतारोही हैं। वह माउन्ट एवरेस्ट पर दो बार चढ़ने वाली विश्व की प्रथम महिला है।
  • इसके अलावा वे कांगसुंग की ओर से माउंट एवरेस्ट पर सफलतापूर्वक चढ़ने वाली विश्व की पहली महिला हैं। उन्होंने पहले मई 1992 में और तत्पश्चात मई सन 1993 में एवरेस्ट पर चढ़ाई करने में सफलता प्राप्त की ।
  • संतोष यादव का जन्म जनवरी, 1969 में हरियाणा के रेवाड़ी जिले में जोनियावास नामक गाँव में हुआ था। उन्होंने महारानी महाविद्यालय जयपुर से शिक्षा प्राप्त की है। वह भारत-तिब्बत सीमा पुलिस में एक पुलिस अधिकारी हैं।
  • उन्हें वर्ष 2000 में पद्यश्री से भी सम्मानित किया गया है।
  • वह एवरेस्ट पर विजय पाने वाली सबसे कम उम्र की महिला है।
  • उन्हें खेल जगत के प्रतिष्ठित अर्जुन पुरस्कार से भी नवाजा गया

Courtesy-photo from testbook.com ( More detail information visit testbook.com)

What you say about this

X
%d